छत्तीसगढ़

भ्रष्ट्राचार के भंवर में कांग्रेस की नैया चुनावी वैतरणी में खा रही हिचकोले, एक ओर चुनावी घोषणाओं का जाल तो दूसरी ओर एकमुश्त भुगतान और महादेव ऐप का ब्रह्मास्त्र

 

किसके सिर सजेगा ताज और किसको मिलेगा पाँच साल का बनवास,बगैर अजीत जोगी राज्य का यह पहला चुनाव

रिपोटर मयंक गुप्ता
महासमुंद / छत्तीसगढ़ राज्य आज लोकतंत्र के महापर्व कहा जाने वाले चुनावी वैतरणी में पूरी तरह उतर चुका है। राज्य की दोनो प्रमुख पार्टियां ही नही अनेकों क्षेत्रीय पार्टियों और निर्दलियों की किस्मत का फैसला बस होने ही वाला है। किसके सिर सजेगा ताज और किसको मिलेगा पाँच साल का बनवास बस चंद कदम की दूरी पर नये सूर्योदय की आस आज छत्तीसगढ़ की इस पावन धरा और भगवान राम की ननिहाल का निर्णय जनता जनार्दन रूपी भगवान के हाथ में है। इस तथाकथित लोकतंत्र जो वास्तव में भीड़तंत्र ही है का निर्णय तो नरमुंडो की गिनती के बल ही आना है अतएव आज का चुनावी आशीर्वाद तो जनता ही देगी।

छत्तीसगढ के बेबाक और प्रथम सीएम के बिना चुनाव

कहना ना होगा कि, छत्तीसगढ़ की यह पहला चुनाव है जो अपने पहले मुख्यमंत्री रहे स्व. अजीत जोगी के बिना ही लड़ा जा रहा है। जिससे यह चुनाव पहले तो मुद्दा विहीन नजर आ रहा था। लेकिन भाजपा ने कमर कसी और चुनाव आर-पार ही नही कांटे के टक्कर का बना दी है। जिसमें महादेव ऐप के प्रमोटरों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पैसा दिये जाने का मुद्दा जोर शोर से उठाया जा रहा है जिससे कांग्रेस में असमंजस की स्थिति निर्मित हो रही है और उन्हें इसकी कोई काट नजर नही आ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जनसभाओं में भ्रष्ट्राचार पर कड़ा प्रहार कर जहां कांग्रेस को बैकफूट पा ला दिया है और पूरी कांग्रेस पार्टी को मुख्यमंत्री के बचाव में उतरना पड़ रहा है जो शुभ संकेत तो बिल्कुल नही कहा जा सकता है।

भापजा, कांग्रेस और अन्य राजनैतिक पार्टियों का चुनावी घोषणा पत्रों का भी पूर्व की भांति इस चुनाव में व्यापक असर होने वाला है। कांग्रेस जहां कर्जमाफी की घोषणा के भरोसे चुनावी फसल काटने आश्वस्त नजर आ रही है वही भाजपा भी एक किश्त में धान खरीदी की भुगतान करने की जो वादा प्रदेश की जनता से की है जिससे आमजन और खासकर किसानों का एक वर्ग खासा उत्साहित नजर आ रहा है। क्योंकि उनकी मेहनत का फल कांग्रेस टुकडों में बाटकर जो देती है किसान उसे अपने परिश्रम का अपमान मानने लगी है। प्रदेश का अन्नदाता किसान जो अपने कठोर परिश्रम से अन्न पैदा करती है उसपर प्रदेश का नौकरशाही, अफसरशाही और राजनैतिक नेताओं की तीकड़ी कुडली मार बैठी है जिसपर किसान निजात चाहते है और एकमुश्त भुगतान को ही उसका तोड़ के रूप में देख रहे है।

हालांकि भाजपा ने कर्जमाफी की घोषणा नही की है बावजूद एकमुश्त भुगतान किये जाने की घोषणा को प्रदेश की जनता और किसानों ने हाथो हाथ लिया है। इसलिए भी भाजपा अब मुख्य मुकाबले में लौट आई जान पड़ता है। भाजपा, कांग्रेस की घोषणा पत्र जारी होने से चुनाव रोचक दौर में पहुंचतीं प्रतीत हो रही है। एक ओर जहां इस चुनावी वैतरणी में कांग्रेस की नैया भ्रष्ट्राचार के भंवर में हिचकोले खा रही है। वही भाजपा ज्यादातर नये चेहरों के बदौलत और तुरूप का पत्ता साबित हो रही एकमुश्त धान खरीदी का भुगतान किये जाने की घोषणा से मदमस्त हाथी की चाल चल रही है।

भाजपा जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ को चुनाव में प्रचार की कमान देकर पूरी तरह से राज्य को मथने चली है वही कांग्रेस भी अपने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को चुनावी समर में दो-दो हाथ करने और अपने मुख्यमंत्री का बचाव करने मैदान में डटे हुए है। कांग्रेस पार्टी वर्ष 2018 के चुनाव में तुरूप का पत्ता साबित हुई कर्जमाफी किये जाने को इस बार भी जहां आजमा रही है वही भाजपा का सीधा आरोप है कि सिर्फ जिला सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंक से ली गई लोन ही माफ किया गया था बाकि किसी भी बैंक का कृषि लोन को माफ ना कर कांग्रेस ने वादा खिलाफी किया था जिसका परिणाम इस चुनाव में भुगतना तो पड़ेगा ही।

जहां भाजपा 15 साल सत्ता में रही और सरकारी नौकरी में व्यापम के माध्यम से जो धांधली की और मलाई उड़ाई उसे लेकर कांग्रेस आज भी प्रदेश की जनता को भाजपा और रमनसिंह का डर दिखा रही है कि भाजपा के आने पर फिर एक बार सरकारी नौकरियों पर ग्रहण लग जायेगा साथ ही रमनसिंह और उसके परिवार का बिचौलियों की भूमिका भी जनता को याद दिला रही है। भाजपा भी धान खरीदी में भूपेश बघेल और उसकी सरकार द्वारा जमकर की जा रही भ्रष्ट्राचार को मुद्दा बना रही है साथ ही शराब घोटाले का जिन्न को फिर बोतल से बाहर निकालकर युवाओं को कांग्रेस द्वारा निगल जाने की दुहाई दी जा रही है।

आरोप-प्रत्यारोपणों के इस दौर में प्रदेश की जनता और मतदाता बड़े चटकारें ले मजे ले रही है और कह रही है कि जो भी पार्टी सरकार में आयेगी असली मलाई तो नेता ही उड़ायेंगे। जनता को तो लालीपाप दिखाई जा रही है वह भी घोषणाओं के रूप में। लेकिन आगामी छह माह में होने वाले लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत कतिपय लोग उन्हे संजीदा भी बता रहे है।

बसना विधानसभा पर एक नजर,बीजेपी प्लस कांग्रेस बनाम

बात बसना विधानसभा की करते है और यहां का जमीनी हाल जानते है। यहां पर इस बार कांटे की टक्कर प्रतीत हो रही है। यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ भयंकर नाराजगी जनता जनार्दन में देखने मिल रही है जो उनके बीतें पांच साल तक लोगो से कटकर रहने का नतीजा जान पड़ता है। लोग चुनाव में धनबल और बाहुबल के बल पर जीतने वाले प्रत्याशी के तौर पर उन्हे देखने लगे है। पांच साल तक आमजन से नदारत रहने वाले नेता की छबि कांग्रेस प्रत्याशी ने गढ़ी है जो उन्हे भारी पड़ता मालूम होता है। इसका सीधा फायदा भाजपा प्रत्याशी को होने जा रहा है।

महासमुंद विधानसभा

बात करें महासमुंद विधानसभा की तो पहली बार महासमुंद विधानसभा में कांग्रेस से महिला प्रत्याशी डॉक्टर श्रीमती रश्मि चंद्राकर को चुनावी मैदान में उतारा गया है। वहीं भाजपा से नये चेहरे के रूप में योगेश्वर राजू सिन्हा को चुनावी मैदान में उतारा गया है। महासमुंद विधानसभा की बात करें तो सारे दिग्गजों की पहली नजर महासमुंद की राजनीति में रहती है इस बार भी रश्मि और राजू के बीच कांटो की टक्कर चल रही है जिस तरह से विगत चुनाव में कर्ज माफी को लेकर पूरे महासमुंद जिले में चारों विधानसभा में कांग्रेस ने अपनी पैठ जमाकर रखी हुई थी। किंतु इस बार कर्ज माफी की घोषणा के बावजूद कांग्रेस पार्टी को अत्यधिक मेहनत की जरूरत पड़ रही है क्योंकि इन 5 सालों में कांग्रेस सरकार ने कर्ज माफी की बदौलत अपनी सरकार तो बना ली किंतु बहुत सारे वायदे आज भी पूर्ण रूप से नहीं निभाया गया है।

खल्लारी विधानसभा

इस बार खल्लारी विधानसभा में कांग्रेस के पूर्व विधायक द्वारकाधीश चंद्राकर को पुनः विधायक प्रत्याशी हेतु मैदान में उतारा गया है। वहीं बीजेपी से श्रीमती अलका चंद्राकर को चुनावी मैदान में उतारा गया है। खल्लारी विधानसभा की बात करें तो इन 5 सालों में कुछ ग्रामीणों का कहना है कि, द्वारकाधीश यादव केवल और केवल अपने परिवार का ही भला किए हैं किंतु अपने समाज के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया है।
इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि, इस बार खल्लारी विधानसभा में बीजेपी की सीट आ सकती है।

सरायपाली विधानसभा

बात करें सरायपाली विधानसभा की तो इस बार कांग्रेस के विधायक किस्मत लाल नंद को कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर जोगी जनता दल से टिकट लेकर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं और अपनी एड़ी चोटी एक कर दिए हैं।
वहीं कांग्रेस से महिला प्रत्याशी श्रीमती चतुरी नंद को विजय दिलाने हेतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरायपाली में आम जनता को अपनी योजनाओं और किए हुए वायदे से अवगत करते हुए संबोधित किये।
भाजपा से श्रीमती सरला कोसरिया को टिकट मिलने उपरांत कांग्रेस पार्टी ने अपने मंथन के अनुसार एक महिला से लड़ने के लिए एक महिला को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतर गया है।
सरायपाली विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो मैदान में एक तो कांग्रेस के पूर्व विधायक जोगी जनता से किस्मत लाल नंद चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस से श्रीमती चतुरी नंद एवं भाजपा से श्रीमती सरला कोसरिया मैदान में है इन तीनों के बीच अब कांटों की टक्कर है। सरायपाली में किसके सिर पर होगा ताज और किसको मिलेगा बनवास। इसका फैसला होगा आगामी 17 नवंबर 2023 दिन शुक्रवार को।

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