रायफल शूटिंग में बेस्ट शूटर के रूप में महासमुंद की मेघा ने जीते स्वर्ण पदक।
कु. मेघा तिवारी नपा कर्मचारी सुरेश तिवारी की सुपुत्री है जिसने पिता सहित पूरे परिवार का बढ़ाया मान।
रिपोर्टर मयंक गुप्ता
महासमुंद / भारत वन खेलकूद प्रतियोगिता रायफल शूटिंग में गोल्ड मेडल हासिल कर महासमुंद शहर सहित पूरे जिले का नाम रोशन करने वाली कु.मेघा तिवारी को पूरे शहर से बधाई एवं शुभकामनाएं मिल रही है।
ग़ौरतलब है कि, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विगत दिनांक 16 से 22 अक्टूबर तक 27वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद महोत्सव का आयोजन संपन्न हुआ । इसमें 23 खेल, 300 प्रतियोगिताएं व 3000 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया । खेल महोत्सव के उद्घाटन समारोह में 16 अक्टूबर को विशेष अतिथि के रूप में केंद्रीय वनमंत्री भूपेन्द्र यादव, बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, केंद्रीय वन सचिव लीना नंदन, केंद्रीय वन महानिदेशक जितेन्द्र कुमार व विश्व क्रिकेट टी-20 के भारतीय कप्तान सूर्य कुमार यादव शामिल होकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किए । वहीं, समापन समारोह में 20 अक्टूबर को ओलंपिक 2024 में शूटिंग में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाली निशानेबाज मनु भाकर शामिल हुए । केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तत्कालीन सचिव के विशेष प्रयासों से देश में राज्यों के वन विभाग के सभी स्तर के कर्मचारियों व अधिकारियों को एक मंच में परस्पर समन्वय तथा उनके बीच खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता’ वर्ष 1992 में प्रारंभ की गई थी। छत्तीसगढ़ में इस आयोजन की मेजबानी तीसरी बार कर रहा है। इस वर्ष प्रतियोगिता में 23 खेलों की 300 विधाओं में लगभग 3000 खिलाड़ियों का भाग लेना एक बड़ी उपलब्धि रही । इसमें लगभग 584 महिला और 2320 पुरुष खिलाड़ी शामिल हुए । इस प्रतियोगिता में 29 राज्य, 8 केन्द्र शासित प्रदेश, 6 वानिकी संस्थान और पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारी-कर्मचारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने मेघा तिवारी को स्वर्ण पदक हासिल करने पर उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दिए।
मेघा ने जीते गोल्ड मेडल पिता का सर गर्व से हुआ ऊंचा संपूर्ण नपा कर्मचारियों ने दी बधाई
यू तो लड़की माता पिता की लाडली इसलिए भी होती हैं क्योंकि वह गुणवान, आज्ञाकारी, तथा बुध्दिमान भी होती हैं ।
ऐसी लड़की जब अपने पिता की आर्थिक परिस्थिति कमजोर होने पर भी उनके लड़की के उच्च शिक्षा के सपने पूरे करने के लिए अपना जी जान लगा देती है । जब वह उस ऊंचाई को पा लेती है । जब कि, वह सिर्फ उसकी लगन और मेहनत होती है जो उसे उस ऊंचाई पर पहुंचा चुकी होती हैं । फिर भी उसके लिए वह उसके मां बाप का कर्तव्य होता हैं ।
यही विनम्रता होती है जो माता पिता को अपने छोटे होनें के बावजूद असीम बुलंदी के बड़प्पन का एहसास कराता है और जब माता पिता अपनी बाज़ुक सुकोमल कली की ऊंची उड़ान के कारण पहचाने जाते है तब उनका सीना गर्व से फूल जाता है । तब उनके लिए सारी दुनियाँ छोटी होने का एहसास ही माता पिता को दुनियाँ से भी ऊंचे हो जाने का गर्व भर देती हैं ।
यह सिर्फ एक कन्या ही कर सकती है ।