छत्तीसगढ़

महासमुंद जिज पंचायत ने की 15वे मद की राशि - 39 लाख का घोटाला, जांच पर्यन्त बाद भी दोषियों को नही मिला हवाला..?

उनतालीस लाख की भ्रष्टाचारी फिर बटवारा ईमानदार अफसरों के गले में फंसी हड्डियां छूटने लगे पसीने, पाए कैसे छुटकारा..?

रिपोर्टर मयंक गुप्ता
महासमुंद / छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिला का मामला सामने आया है। भ्रष्टाचार की बैतरनी में जिज पंचायत को नैय्या गोते खा रही है। महासमुन्द जिला के जनपद पंचायत में वैश्विक महामारी कोरोना काल महामारी भुलाया नही जा सकता है। वैसे तो इस महामारी के चलते बहुत से लोगों के घर बर्बाद हो गए और बहुत सारे लोगों के जीवन आबाद हो गए। और सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और बंदरबाट का खेल खेला गया है। वह विभाग जिला पंचायत और जनपद पंचायत का किरदार बहुत ही महत्वपूर्ण रहा। इस महामारी के चलते छत्तीसगढ के संपूर्ण ग्राम पंचायतों के सरपंच एवम सचिवों के भाग्य खुल गए। जहा कोरोना महामारी को लेकर लॉक डाउन 144 धारा भी संपूर्ण प्रदेश में व्याप्त रहा। वही ग्राम पंचायतों में सबसे अत्यधिक कार्य संपादित हुए और फर्जी बिल वाउचर भी संलग्न कर राशियों का आपसी बंदरबाट किया गया। इसी तारतम्य में केंद्र सरकार से 15 वित्त आयोग की राशि जनपद पंचायत महासमुन्द में आई थी। जिसको सभी ग्राम पंचायतों में कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सामग्री सेनेटाइजर मास्क,क्रय कर के पहुँचाना था। सामग्री तो पहुँची और क्रय भी किया गया लेकिन किसने देखा सामग्री क्रय हुई और कब पहुँची ग्राम पंचायतों में क्यों कि, सबको तो अपनी पड़ी थी। क्योंकि महामारी ऐसी थी जिसके भय मात्र से तो नाम सुनते ही रूह कांप जाती थी। खैर भगवान ना करे ऐसे दिन हमारे प्रदेश की जनता जनार्दन को दुबारा देखने को मिले हम बात जनपद पंचायत की कर रहे है मामला 15वे वित्त आयोग की राशि 39 लाख रुपये का है! क्या उस मामले में चल रही जांच को दबाने का प्रयास किया जा रहा है..? क्या वह जांच फिर दब जायेगी..? क्योंकि वह पहली ऐसी जांच है जो 2 वर्ष से बैलगाडी की चाल में जांच चली आ रही है कभी जांच अधिकारी सेवा निवृत्त हो जाता है तो कभी जांच अधिकारी का ट्रांसफर हो जाता है क्या उसमे भी जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस आलोक का हाथ है..? जिसको लेकर वह इस मामले को गंभीरता पूर्वक नही ले रहे है ? क्योंकि हमने 1-2 बार मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस आलोक से संपर्क करने का प्रयास भी किया और उस मामले में क्या कार्यवाही हुई है.. ?उस विषय मे चर्चा करने के लिए उनके कार्यालय में मिलने गए लेकिन कभी मिले नही दौरे में रहे और मिले तो बाहर अपने चेम्बर से बाहर आकर जवाब देते है कि, मैं उसमे क्या कर सकता हूँ उसमे में और क्या कार्यवाही करूंगा । ऐसा उनके द्वारा जवाब दिया जाता है। शिकायतकर्ता को ये किस हद तक उचित है क्योंकि उस मामले में जो कर्मचारी फसने और उस मामले में संलिप्त है वह कर्मचारी जिला पंचायत कार्यालय का ही कर्मचारी है। वह कर्मचारी जनपद पंचायत महासमुन्द में बैठाकर रखे है!शिकायतकर्ता द्वारा कुछ दिन पहले जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी मिषा कोसले द्वारा उस मामले में चर्चा किया गया तो उनके द्वारा बताया गया मैने अपना काम कर दिया है। जांच करके जिला पंचायत कार्यालय में जमा कर दिया है। उनके द्वारा निष्पक्ष जांच की गई है। अब संशय की स्थिति यह बन रही है कि, जांच होने के बाद अब तक कार्यवाही में विलम्ब क्यों हो रही है। 39 लाख की राशियों का आपसी बंदरबाट में थोड़ा भी समय नहीं गवाया गया। लेकिन दोषियों के ऊपर कार्यवाही को क्यों रोककर रखा गया है..? केंद्र सरकार के पैसे को गबन किया गया जबकि राज्य में उनकी सरकार नही थी अब तो उनकी सरकार है फिर भी जांच को संज्ञान में नही लिया जा रहा है अगर ऐसा होता रहा तो भ्रस्टाचारियो के हौसले और बुलंद हो जाएंगे। इस मामले के बाद एक मामला जिला पंचायत कर्मचारी का सामने आने वाला वाला है। जिसके द्वारा किए गए काली करतूत शासन प्रशासन द्वारा निर्धारित क्रय नियमों की धज्जियां उड़ाया गया है । अब इस मामले में शासन प्रशासन त्वरित संज्ञान नहीं ली गई तो प्रतिदिन नए मामलों का खुलासा किया जायेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button