छत्तीसगढ़स्वस्थ्य जीवन

बागबाहरा में ईश्वर के दूतों ने रचा नया कीर्तिमान

एक ही दिन में 7 परिवारों में गूंजी किलकारियाँ

रिपोर्टर मयंक गुप्ता
महासमुन्द / कहते है भगवान का दूसरा रूप डॉक्टर होता है और यह सत्य ही है। जब हम अपने परिवार के किसी सदस्य को किसी भी निजी या सरकारी अस्पताल लेकर जाते है तो तो हम निश्चिंत हो जाते है अब हमको सकारात्मक परिणाम मिलेगा।

जब कोई महिला गर्भावस्था में होती है तो डिलीवरी के समय जो उस महिला को दर्द सहना होता है उसको साइंटिफिक भाषा में डेसिबल कहते है और उस वक्त प्रसव पीड़ा के दौरान एक महिला में दो जिंदगियां होती है जिसे 10 डेसिबल से लेकर 13 डेसिबल दर्द सहना पड़ता है। तब उस वक्त एक ऊपर वाले की दुआ और दूसरी ओर उनके दूत यानी चिकित्सक के हाथ में सब कुछ होता है। और अंततः किसी भी कार्य को कोई शिद्दत से करता है तो उनका परिणाम सकारात्मक ही आता है।

बता दे कि,बागबाहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सीमित संसाधनों, स्टाफ की कमी और चुनौतियों से जूझते हुए भी जब जज्बा बुलंद हो, तो कोई भी असंभव कार्य संभव बन जाता है। ऐसा ही कर दिखाया है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बागबाहरा ने, जहाँ डॉक्टर, नर्स और मितानिनों की समर्पित टीम ने एक दिन में 7 सफल प्रसव कर नया इतिहास रच दिया।

जहाँ एक ओर सुविधाओं की कमी अक्सर इलाज में बाधा बनती है, वहीं दूसरी ओर यहाँ की मेडिकल टीम ने कड़ी मेहनत, निष्ठा और मानव सेवा की भावना से ऐसे असाध्य कार्य को अंजाम दिया जिसे सुनकर शहरवासी गर्व से भर उठे।

महज एक दिन में 2 नार्मल और 5 हाई-रिस्क सिजेरियन डिलीवरी कर 4 बेटियाँ और 4 बेटे सुरक्षित रूप से जन्मे। इनमें एक महिला ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, और एक अन्य विशेष मामला रहा रूपमती पटेल का, जो 12 वर्षों बाद गर्भवती हुईं और अत्यधिक रक्तचाप जैसी जटिल परिस्थिति में डॉक्टर साहू ने जोखिम उठाकर उनकी सिजेरियन डिलीवरी करवाई। माँ और बच्चा दोनों पूर्णतः स्वस्थ हैं।

इस अद्भुत उपलब्धि के पीछे मुख्य भूमिका निभाई स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रवेन्द्र देव साहू की टीम ने, जिनके मार्गदर्शन में हाल ही में एक महिला के अंडाशय से 2.5 किलो का ट्यूमर निकालने का भी सफल ऑपरेशन किया गया था।

इस सफलता में मितानिन दीदियों – मुस्कान निषाद, जानकी साहू, खेमा बाई, जामंतिन बुंदेली, श्रद्धा चन्द्राकर, भारती जगत, संतोषी विश्वकर्मा, और खीरा सोनवानी – की सजगता व सक्रियता को भी नकारा नहीं जा सकता, जिन्होंने प्रसव पूर्व देखरेख से लेकर अस्पताल पहुंचाने तक की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

यह सारा कार्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कुदेशिया और ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. बढ़ई के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

यदि शासन से और सुविधाएँ प्राप्त हों, तो यह केंद्र पूरे जिले में मातृ-शिशु स्वास्थ्य का आदर्श बन सकता है।

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