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जीवन बहुत ही कष्ट कारक थे, लेकिन हार नही माने मिली कामयाबी ...!

 

कामयाबी की मिशाल है, जामुल निवासी दिलीप साहू

जामुल / अनेक विद्वानों ने जीवन को इस रूप में देखा या जिया है कि जीवन एक संघर्ष है। संघर्ष-हीन जीवन मृत्यु का पर्याय है। संघर्ष वह अज्ञात शक्ति है जो व्यक्ति को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। इसलिए संघर्ष के अभाव में जीवन का सही आनंद नहीं उठाया जाता।

जीवन में संघर्ष है प्रकृति के साथ, स्वयं के साथ, परिस्थितियों के साथ। तरह-तरह के संघर्षों का सामना आए दिन हम सबको करना पड़ता है और इनसे जूझना होता है। जो इन संघर्षों का सामना करने से कतराते हैं, वे जीवन से भी हार जाते हैं, जीवन भी उनका साथ नहीं देता। हर सफल इंसान की जिंदगी में एक संघर्ष की कहानी जरूर होगी।

हम एक सफल इंसान को तो देखकर बहुत खुश होते हैं और उसके लिए गर्व महसूस करते हैं। पर उनके जीवन की सफलता के पीछे की संघर्ष की कहानी से बिल्कुल अनजान होते हैं! जब हम जीवन में संघर्ष कर रहे होते हैं, तो आंतरिक शांति बनाए रखना बहुत मुश्किल है। एक बात याद रखना चाहिए कि जब हमारे जीवन में चीजें अलग हो रही होती हैं तो वे हमारे भले के लिए ही होती हैं।


इसी संघर्षों से जुडी जामुल के एक संघर्षशील व्यक्ति से रू ब रू कराते है – *मेहनत की लत, नशा शर्मसार*

दिलीप कुमार साहू (सार्वा) का जन्म 25 जून 1971 को संतोषी चौक के पास, जामुल जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) में हुआ । इनके पिता स्व. रामसिंह साहू व माता श्रीमती कलाबाई साहू के चार सुपुत्र एक सुपुत्री में एक बड़े भाई व एक बड़ी बहन के बाद आपका नंबर आता है।
इनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में कार्य करते हुए अपने परिवार का भरण पोषण सहित बच्चों की स्कूली शिक्षा में भी पीछे नहीं हटे । इनके पिता की परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए आकस्मिक निधन हो गया । दिलीप साहू की शिक्षा कक्षा आठवीं तक ही सिमट के रह गई । दिलीप साहू घर बड़ा पुत्र और भाई होने के नाते घर की संपूर्ण जवाबदारी आपके और आपकी मां पर आ गई ।


पारिवारिक जिम्मेदारियो के चलते पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। काम की तलाश में भटकना पड़ा ।
आपकी कार्य की शुरुआत जिले से सटे ग्रामों में जाकर साप्ताहिक बाजार में सब्जी बेचने का कार्य शुरू किया गया । दिलीप साहू ने अपने जीवन काल में मेहनत के रूप में अनेकों कार्य पान की टपरी , सायकल रिपेयरिंग की दुकान, चाय की टपरी भी लगाना पड़ा । इस दौरान आप लोहे की आलमारी बनाने का काम शुरू किये जहां आप मेहनत करते हुए सफलता पूर्वक आलमारी बनाने में महारत हासिल किए । आप के कदम सफलता की सीढ़ी की ओर बढ़ने लगे । इस दौरान आपकी शादी हुई, आपके 2 बच्चें हुए ।
आप ने अपनी मेहनत में कभी कोताही नहीं बरते आप मेहनत करते रहें और कामयाबी आपकी कदम चूमती रही। इस दौरान आप अपनी कड़ी मेहनत से कई प्रतिष्ठान बनाकर ग्राम जामुल के सफल नागरिक बन नया कीर्तिमान रचे है ।
आपकी मधुर वाणी, व्यवहार, ईमानदारी, आप निश्चित रूप से सामाजिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में भी आपका एक सर्वोच्च स्थान है ।

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