आदिवासियों के मुंह से छीना जा रहा निवाला..?



मामला बसना ब्लॉक के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति गढ़फुलझर अन्तर्गत शासकीय उचित मूल्य साल्हेझरिया का..!!
रिपोर्टर मयंक गुप्ता
महासमुंद / छत्तीसगढ़ गरीबों को मुफ्त और कम दामों में राशन मुहैया कराने के लिए शासन शासकीय उचित मूल्य की दुकानें संचालित करती है।
लेकिन दुकान संचालक ही अगर गरीबों के राशन पर डाका मार दे तो बेचारे गरीब कहां जाये, ये एक बड़ा सवाल है। मामला बसना ब्लॉक के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति गढ़फुलझर अन्तर्गत शासकीय उचित मूल्य साल्हेझरिया का हैं….!
साल्हेझरिया गांव आदिवासी बाहुल्य गांव होने के साथ छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर बसा हैं, गांव गरीब होने के कारण ज़ब कमाते हैं तब उन्हें भोजन नसीब होता हैं और ऐसे में सितंबर माह के चावल सहित अन्य खाद्यान्न का वितरण विंध्यावासिनी महिला स्व सहायता समूह साल्हेझरिया द्वारा अभी तक शुरू नही किया गया है। वही थम्ब इंप्रेशन लेने के बाद भी हितग्राहियों को दो-तीन और चार महीने तक का चावल, शक्कर, चना नमक नही दिया है। जिसके कारण गरीब हितग्राहियों को घर में चावल नही होने के कारण भुखे मरने की नौबत आ गयी है। जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने अंकोरी जिलास्तरीय जनसमस्या निवारण शिविर में की है…. मामले में ग्राम पंचायत साल्हेझरिया के सचिव पुनीतराम पटेल का भी कहना हैं कि सहकारी उचित मूल्य की दुकान में खाद्यान्न का वितरण महीने के आखिरी दिनों में होता है। ग्रामीणों ने जिलास्तरीय जनसमस्या निवारण शिविर में राशन नही मिलने की शिकायत की है जांच चल रही है….. वही खाद्य निरीक्षक दिव्यांशु देवांगन ने कहा कि मामले में जांच रिपोर्ट बनाकर एसडीएम बसना को सौंप दिया गया है। वही विंध्यावासिनी महिला स्व सहायता समूह साल्हेझरिया को निर्देशित किया गया है कि जिन हितग्राहियों को चावल नही मिला तत्काल वितरण करें।

