फसल चक्र परिवर्तन को लेकर किसान हो रहे जागरूक - देवेंद्र चंद्राकर
* रबी सीजन में चना, गेहूं फसल लेने का निर्णय ले रहे किसान
* भावी पीढ़ी के लिए भू-जल की महत्व को समझ रहे किसान
रिपोर्टर मयंक गुप्ता
महासमुंद / भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला सहसंयोजक देवेंद्र चंद्राकर ने कहा कि, रबी सीजन में धान फसल के बदले दलहन, तिलहन फसलें लेने की अपील सरकार द्वारा की जा रही है। प्रदेश में जल संरक्षण की दिशा में फसल चक्र परिवर्तन एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। फसल चक्र परिवर्तन से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि सहित भू-जल स्तर में सुधार होगा। साथ ही अंधाधूंध भू-जल के दोहन से ग्रीष्म ऋतु में जल संकट की समस्या से भी काफी हद तक राहत मिलेगी।
श्री चंद्राकर ने कहा कि, जल संरक्षण की दिशा में राजनीति से उपर उठकर सभी को सार्थक पहल करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा की जा रही अपील हर वर्ग के हित में है। इस मुद्दे पर किसानों को बरगलाने के बजाए उन्हें फसल चक्र परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। लेकिन, विपक्ष के नेता इस मुद्दे को राजनीतिक मुद्दा बनाकर बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि, सरकार सदैव किसान हित में निर्णय लिए हैं। शासन के मंशानुरूप किसान भी जागरूक हो रहे हैं। प्रदेश के धमतरी जिले के ग्राम रांवा, ग्राम पंचायत परसतराई, नगर पंचायत आमदी सहित बालोद जिले के गुरुर ब्लाॅक अंतर्गत ग्राम पेंडरवानी के किसानों ने इस बार रबी सीजन में धान के बजाए चना व गेहूं की फसल लेने का निर्णय लिया है। किसान स्वयं इस बात से वाकिफ हैं, कि रबी सीजन में धान फसल की सिंचाई के लिए पानी के लिए किस हद तक परेशानी उठानी पड़ती है। रबी सीजन में धान फसल लेने वाले किसान अपने खेतों में 24 घंटे सिंचाई बोर पंप चलाते हैं। अधिकांश गांवों के किसान रबी में धान फसल लेते आ रहे हैं, इसका विपरीत असर भू-जल स्तर पर सीधा पड़ता है। समय से पहले भू-जल स्तर गिरने से सिंचाई बोर पंप हाफने लगता है और गांवों में पेयजल संकट शुरू हो जाती है। ग्राम परसतराई के किसानों के इस निर्णय की प्रशंसा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है। ग्राम परसतराई रबी सीजन में जल संरक्षण के लिए धान फसल का बहिष्कार किया और दलहन-तिलहन लेकर जल बचाव का सीख प्रदेशभर के किसानों को दिया है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि सरकार द्वारा रबी सीजन में धान फसल नहीं लेने के लिए किसानों से केवल अपील की जा रही है। उन पर कोई दबाव नहीं डाला जा रहा। प्रदेश के किसानों को सरकार पर भरोसा है। इसलिए प्रदेश के विभिन्न जिलों के किसानों न रबी सीजन में धान फसल नहीं लेने का निर्णय पंचायतों में बैठक कर लिया है। छत्तीसगढ़ के किसानों की प्रशंसा दिल्ली में हो रही है।