छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ में आदिवासी मुख्यमंत्री पश्चात भी आदिवासियों पर अत्याचार क्यों..?

 

आदिवासियों द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम महासमुंद कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन

रिपोर्टर मयंक गुप्ता
महासमुंद / छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बावजूद पूरे प्रदेश में हो रहे आदिवासियों के विरुद्ध अत्याचार, हत्याओं, शोषण के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही करने, इन पर रोक लगाने तथा प्रदेश के लिए जनजातीय नीति बनाने हेतु आज महासमुंद के पटवारी कार्यालय के सामने छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने किया एक दिवसीय आंदोलन और आंदोलन पश्चात मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज प्रदेश में हो रहे आदिवासी महिलाओं से बलात्कार, हत्याएं तथा शोषण के खिलाफ ध्यान आकृष्ट करने चार सूत्रीय मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने एक दिवसीय आंदोलन किया।

दिनांक 10.08.2024 को बीजापुर जिला क्षेत्रान्तर्गत एक आदिवासी महिला की अज्ञात लोगों द्वारा जघन्य हत्या कर उसका शव फेंक दिया गया था। अभी तक अपराधी पुलिस गिरफ्त से बाहर है।
दिनांक 01.09.2024 को जिला दंतेवाड़ा के ग्राम पोन्दुम बाजार पारा से 6 माह के आदिवासी बच्चे के अपहरणकर्ताओं को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। समाज के समक्ष यह भी जानकारी आई है कि विवेचना अधिकारी द्वारा मृतक परिवार के जिला अंबिकापुर के सीतापुर में एक आदिवासी युवक संदीप लकड़ा की निर्मम हत्था कर जमीन में गाड़ दिया गया एवं उसके ऊपर पानी की टंकी बना दिया गया था। हत्यारा अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।

औद्योगिकीकरण के चलते प्रदेश में वनों की कटाई तेजी से हो रही है जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। आदिवासियों की जमीनों का अधिग्रहण हो रहा है एवं उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी सही नहीं हैं। प्रदेश में कानून एवं शांति व्यवस्था संतोषप्रद नहीं है। भूमि अधिग्रहण से आदिवासियों की कृषि भूमि लुप्त होती जा रही है जिससे उनका जीवन यापन मुश्किल हो रहा है।

आदिवासियों के हित में आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक, व्यवसायिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए इस राज्य में जनजातीय नीति भी नहीं बनाई गई है।

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